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Kazakhstan Joins UN’s Nuclear Watchdog in a Milestone Step Toward Non-Proliferation – Hindi

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कज़ाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था में शामिल: परमाणु अप्रसार की दिशा में मील का पत्थर

रमेश जौरा द्वारा

एस्टाना (आईडीएन) – जब 29 अगस्त को स्थानीय समय अनुसार 11 बज कर 5 मिनट पर कज़ाकिस्तान की राजधानी एस्टाना में परमाणु हथियारों के परीक्षण के शिकार लोगों की स्मृति में मौन रखा जा रहा था, लगभग 2713 मील (4365 किलोमीटर) दूर उत्तरी कोरिया ने एक मध्यवर्ती रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल दागी जो जापान के ऊपर से उड़ कर गई: इसी दिन कज़ाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निगरानी विभाग के तत्वावधान में एक नई सुविधा का उद्घाsटन किया गया, जो अप्रसार के क्षेत्र में एक नया अध्याय साबित हो सकती है।

जुलाई 1945 में अमेरिका द्वारा किये गए पहले परमाणु बम विस्फ़ोट और 1996 में व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) के लागू होने के बीच विश्व भर में 2,000 से अधिक परमाणु परीक्षण किए गए। सितम्बर 1996 में सीटीबीटी के लागू होने के बाद से 2016 तक नौ परमाणु परीक्षण किये गए हैं। तब से, केवल उत्तर कोरिया परमाणु परीक्षण करता रहा है।

जबकि 2 दिसम्बर 2009 को, संयुक्त राष्ट्र ने कज़ाकिस्तान और कई प्रायोजकों और सह-प्रायोजकों द्वारा उठाए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 29 अगस्त को परमाणु परीक्षणों के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। 64/35 से पास रिज़ॉल्यूशन ने 29 अगस्त, 1991 को सेमीप्लाटिंस्क परमाणु परीक्षण साइट के बंद होने का भी स्मरण किया। बहुभुज के रूप में भी जाने जाने वाला यह सोवियत संघ का प्रमुख परमाणु परीक्षण स्थल था।

एटम प्रोजेक्ट – “परीक्षण बंद करें। हमारा मिशन”- और इस बीच इसके मानद राजदूत करिब्बेक कुकुव जो एक भुजाहीन कलाकार और परमाणु हथियार विरोधी कार्यकर्ता हैं, ने परमाणु परीक्षण स्थल को बंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां 1.5 मिलियन से अधिक कज़ाक नागरिक परमाणु हथियारों के परीक्षणों से उत्पन्न ख़तरे के शिकार थे, और आज तक यहाँ बच्चे गंभीर विकृतियों, बीमारियों और जीवनपर्यन्त स्वास्थ्य चुनौतियों के साथ पैदा होते हैं।

संसद के सीनेट के अध्यक्ष केसीम-जोमर्ट टोकयेव ने विज्ञान और विश्व मामलों पर पगवाश सम्मेलन के 62 वें वार्षिक सम्मेलन, जिसे इसके सह-संस्थापक सर जोसेफ रोटब्लैट के साथ 1995 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, की समाप्ति पर बताया, “सोवियत यूनियन के पतन के मद्देनजर आज़ादी हासिल करने पर कज़ाख राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव, जो कई वर्षों से अप्रसार के लिए किये जा रहे वैश्विक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, ने ऐतहासिक आदेश जारी कर के सेमीप्लाटिंस्क परीक्षण स्थल को बंद कर दिया।”

पगवाश सम्मेलन की 60 वीं वर्षगांठ के अवसर पर एस्टाना में 25 अगस्त से 29 अगस्त तक आयोजित वार्षिक सभा के दौरान ‘नए परमाणु ख़तरों का सामना’ पर ध्यान केंद्रित किया गया। संगठन ने 1955 के रसेल-आइंस्टीन मैनीफेस्टो से प्रेरणा ली है, जिसने दुनिया के नेताओं को “एक नए तरीके से सोचने”: परमाणु हथियारों को त्यागने, “अपनी मानवता को याद रखने” और उन के बीच के सभी विवादित मामलों के निपटान के लिए शांतिपूर्ण तरीके खोजने की अपील की है।”

पगवाश सम्मेलन, जो परमाणु और सामूहिक हथियारों के कारण मानवता पर मंडारते ख़तरे, से निपटने के लिए वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि की आवश्यकता पर जोर देता है, के पिछले दस वर्षों से मुखिया पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव जयंता धनपाल हैं। नए अध्यक्ष सर्जियो डुएर्ते भी संयुक्त राष्ट्र के पूर्व-महासचिव रहे हैं।

अगस्त 29, 2017 को ओस्केमेन के पूर्वी शहर में स्थित उल्बा मेटलर्जिकल प्लांट (यूएमपी) में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के कम समृद्ध यूरेनियम (एलईयू) बैंक के उद्घाटन के साथ परमाणु अप्रसार की दिशा में नया अध्याय जुड़ जाएगा। यहाँ 90 टन ईंधन तक भंडार किया जा सकेगा, जिससे एक बड़े शहर को तीन साल तक विद्युत आपूर्ति की जा सकती है। इस ईंधन को आईएईए के सदस्यों को बेचा जाएगा यदि वे कहीं और से ईंधन प्राप्त नहीं कर पाए।

आईएईए के महानिदेशक युकिया अमानो ने एक बयान में कहा “एलीयू बैंक, देशों को इस बात का विश्वास दिलाने का अंतिम विकल्प होगा कि किसी भी अप्रत्याशित कारण से उनकी आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में वे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए ईंधन के निर्माण के लिए लियू एलईयू प्राप्त कर सकेंगे।”

कज़ाख राष्ट्रपति नज़रबेयव की अध्यक्षता में उद्घाटन समारोह के दौरान उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि आईएईए एलईयू बैंक, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए ईंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देगा।” इस समारोह में आईएईए सदस्य राज्यों के प्रतिनिधियों और दाताओं ने भी भाग लिया।

एलईयू बैंक की स्थापना को प्रतिबद्ध इस कार्यक्रम में व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि संगठन (सीटीबीटीओ) के प्रिपरेटरी कमीशन के कार्यकारी सचिव लस्सीना ज़ेरो ने भी भाग लिया।

“जहाँ एक ओर हम कई सफलताओं पर गर्व महसूस करते हैं, 29 अगस्त हमें चेतावनी भी देता है की परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने का काम अभी अधूरा है। जेरो ने अप्रत्यक्ष रूप से चुनौतियों के बारे में ज़िक्र करते हुए कहा, “परमाणु परीक्षण को इतिहास का हिस्सा बनाने के लिए कार्य करते हए, हमें क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वास के महत्व को नहीं भूलना चाहिए।”

एसआईपीआरआई के निशस्त्र संगठन के एक पूर्व निदेशक, तारिक राउफ के अनुसार एस्टाना के आयोजित कार्यक्रम 1957 आईएईए संधि में परिकल्पित आईएईए के स्वामित्व और सञ्चालन वाले परमाणु ईंधन बैंक की स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

इस पहल का प्रस्ताव सितंबर 2006 में वाशिंगटन, डीसी आधारित न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव (एनटीआई) द्वारा दिया गया था जिसने आईएईए को 50 मिलियन अमरीकी डालर की पेशकश की थी, जो वैश्विक निवेशक वॉरन बफेट द्वारा प्रदान की गई थी। यह राशि 100 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त राशि जुटा कर आईएईए एलईयू बैंक की स्थापना के लिए थी।

2009 की शुरुआत में, आईएईए ने यूरोपीय संघ से (50 मिलियन यूरो), कुवैत से(10 मिलियन डॉलर), नॉर्वे से ($ 5 मिलियन), संयुक्त अरब अमीरात से (10 मिलियन डॉलर) और संयुक्त राज्य अमेरिका (अमेरिका) से (50 मिलियन) की सहायता राशि प्राप्त करने के अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफलता अर्जित की। कज़ाकिस्तान अपने देश में आईएईए एलईयू बैंक की मेजबानी करने की पेशकश करने वाला एकमात्र देश था और उसने परियोजना के लिए करीब 500,000 डॉलर का आश्वासन दिया था।

आईएईए के निदेशक-जनरल अमानो को भरोसा है कि आईएईए एलआईयू बैंक की स्थापना और संचालन पूरी तरह से आईएईए के सदस्य राज्यों और अन्य दाताओं द्वारास्वेच्छा से किये योगदान द्वारा वित्तपोषित है, यह राशि 150 मिलियन अमरीकी डॉलर है – जो 20 साल के ऑपरेशन के लिए अनुमानित लागतों को कवर करने के लिए पर्याप्त है – और इसका एजेंसी के बजट या अन्य गतिविधियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह सभी दाताओं के आभारी हैं – जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, नॉर्वे, कज़ाकिस्तान गणराज्य और नुक्लेअर थ्रेट इनिशिएटिव शामिल हैं – “जिनके उदार वित्तीय योगदान के फलस्वरूप यह परियोजना संभव हुई है।”

उन्होंने चीन और रूस को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने आईएईए एलआईयू बैंक के लिए एलईयू के अपने देशों से पारगमन की अनुमति देने संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि परमाणु ऊर्जा आर्थिक विकास के लिए पर्याप्त ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करती है, अमानो ने कहा कि करीब 30 देश परमाणु ऊर्जा शुरू करने में रुचि रखते हैं। यह संख्या उन देशों की संख्या के बराबर है जो वर्तमान में विश्व भर में 447 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का सञ्चालन कर रहे हैं। 58 और रिएक्टर्स निर्माणाधीन हैं जिनमें अधिकांश एशिया में हैं।

उन्होंने कहा, “इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आईएईए एलईयू बैंक जैसे अंतिम विकल्प काम में लिए जाएं ताकि देशों को यह विश्वास दिलाया जा सके कि वे परमाणु ईंधन के लिए उनकी भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे।”

आईएईए के मुताबिक, आईएई एलईयू बैंक वाणिज्यिक बाजार या अन्य मौजूदा एलईयू आपूर्ति व्यवस्था में व्यवधान की स्थिति में देशों को परमाणु ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के वैश्विक प्रयासों का हिस्सा है।

आईएईए अनुमोदन के साथ स्थापित आपूर्ति तंत्र एंगारस्क, रूस के अंतर्राष्ट्रीय यूरेनियम संवर्धन केंद्र में एलईयू रिज़र्व की गारंटी भी देता है। इसके अतिरिक्त एलयूयू संवर्धन सेवाओं की आपूर्ति की गारंटी के लिए ब्रिटेन का आश्वासन भी शामिल है। [IDN-InDepthNews – 30 अगस्त 2017]

फोटो: आईएईए के महानिदेशक युकिया अमानो (बाएं) और कज़ाख राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव आईएईए-लियू बैंक की प्रतीकात्मक चाबी के साथ। श्रेय: कज़ाकिस्तान गणराज्य के राष्ट्रपति की आधिकारिक साइट

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