सीटीबीटीओ, परमाणु प्रहरी, जो कभी नहीं सोता
थालिफ़ दीन
संयुक्त राष्ट्र (आईपीएस) – दुनिया की परमाणु शक्तियाँ सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से या महासभा की निंदा से शायद बच जाएं लेकिन वे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था: व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (सीटीबीटीओ) से नहीं बच सकती हैं।
वास्तव में, इसका निगरानी नेटवर्क हमेशा सतर्क रहता है और गुप्त रूप से किये जा रहे परमाणु परीक्षणों का पता लगा लेता है। साथ ही साथ यह वास्तविक समय में भूकम्प और ज्वालामुखी विस्फोट का भी पता लगा लेता है और बड़े तूफानों और बहते हुए हिमशैलों पर भी नज़र रखता है।”
कुछ लोग इसकी तुलना पृथ्वी के एक विशाल स्टेथोस्कोप से करते हैं जो ग्रहों की अनियमितताओं को सुन सकता है, महसूस कर सकता है और सूंघ सकता है।
और यह नेटवर्क कभी विश्राम नहीं करता है क्योंकि जब से इसे लगाया गया है अर्थात 18 वर्षों से यह बिना रुके चौबीसों घंटे काम कर रहा है – मुख्यतः जमीन के ऊपर और नीचे किये जाने वाले परमाणु विस्फोटों का पता लगाने का।
यह नेटवर्क परीक्षण प्रतिबंध संधि के उल्लंघन पर निगरानी रखने का ज़रिया है, व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (सीटीबीटी) विश्व भर में हर प्रकार के परमाणु विस्फोटों – ज़मीन पर, ज़मीन के नीचे या पानी के नीचे – पर रोक लगाती है।
कार्यकारी सचिव, डॉ. लसीना ज़ेरबो ने आईपीएस को बताया कि “सीटीबीटीओ प्रणाली का मिशन उससे कहीं अधिक हो गया है जो इसके रचनाकारों ने सोचा था, यह प्रणाली सक्रिय और विकसित होती पृथ्वी पर नज़र रख रही है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसकी तुलना पृथ्वी के एक विशाल स्टेथोस्कोप से करते हैं जो ग्रहों की अनियमितताओं को सुन सकता है, महसूस कर सकता है और सूंघ सकता है।
डॉ. ज़ेरबो ने कहा कि यह एकमात्र वैश्विक नेटवर्क है जो वायुमंडलीय रेडियोधर्मिता और उन ध्वनि तरंगों का पता लगता है जिन्हें मनुष्य के कान नहीं सुन सकते हैं।
सीटीबीटीओ के वैश्विक निगरानी नेटवर्क में अब 300 से अधिक स्टेशन शामिल हैं जिनमें से कुछ पृथ्वी और समुद्र के सबसे दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में हैं।
यह नेटवर्क चार प्रकार का डेटा एकत्रित करता है: भूकम्प संबंधी (भू-गर्भीय हलचल), जलीय-ध्वनि (पानी में ध्वनि का मापन), इंफ्रासाउंड (कम फ्रीक्वेंसी की ध्वनि) और रेडियोन्यूक्लाइड (रेडियोधर्मिता)। यह लगभग 90 प्रतिशत पूरा हो गया है।
पूरा होने पर, इस प्रणाली में विश्व भर में फैले 337 स्टेशन शामिल होंगे जो ग्रह के हर कोने पर प्रभावशाली ढंग से नज़र रखेंगे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव – बान की मून कहते हैं, “लागू होने से पहले से ही सीटीबीटी ज़िंदगियाँ बचा रहा है।”
वर्तमान में यह नेटवर्क लगभग 15 गीगाबाइट डेटा एकत्रित कर रहा है जिसे यह वास्तविक समय में सीटीबीटीओ के डेटा विश्लेषण केंद्र, जो ऑस्ट्रिया के विएना में है, भेजता है।
वहाँ से, एक दैनिक विश्लेषण रिपोर्ट सीटीबीटीओ के 183 सदस्य देशों को उनके उपयोग और विश्लेषण के लिए भेजी जाती है।
यह देखने, सुनने और सूंघने की सार्वभौमिक प्रणाली सीटीबीटीओ की देन है जो प्रत्येक दो वर्ष में एक वैज्ञानिक और तकनीकी सम्मेलन का आयोजन करता है।
इस वर्ष का विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में होफ्बर्ग पैलेस में 22-26 जून को आयोजित होना है।
सीटीबीटीओ के निगरानी नेटवर्क का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है: 12 फरवरी, 2013 को नेटवर्क के 94 भूगर्भीय निगरानी स्टेशनों और दो इंफ्रासाउंड स्टेशनों ने उत्तरी कोरिया द्वारा किये जाने वाले परमाणु परीक्षण का पता लगा कर सदस्य देशों को उत्तरी कोरिया की घोषणा के एक घंटे से भी पहले ही सावधान कर दिया था।
तीन दिन बाद, 15 फ़रवरी, 2013 को, सीटीबीटीओ इंफ्रासाउंड निगरानी स्टेशनों ने वातावरण में प्रवेश कर चुके और चेल्याबिंस्क, रूस के ऊपर आसमान में विघटित हुए उल्का के संकेतों को पकड़ लिया था।
सीटीबीटीओ नेटवर्क, जो इंफ्रासाउंड का पता लगाने में अपनी तरह का एकमात्र वैश्विक नेटवर्क माना जाता है, ने विस्फोट होते आग के गोले की शॉक वेव को भी दर्ज़ किया है।
इस डेटा ने उल्का की स्थिति, उत्सर्जित ऊर्जा, ऊंचाई और आकार का पता लगाने में वैज्ञानिकों की मदद की।
और नेटवर्क की वायुमंडलीय नमूना चयन प्रणाली ने मार्च 2011 में फुकुशिमा डायची परमाणु बिजली संयंत्र की वैश्विक आपदा के अदृश्य रडिओधर्मिता संकेतों को पकड़ा था।
इसने बताया कि जापान से बाहर रेडियोधर्मिता हानिकारक स्तर से नीचे थी। सीटीबीटीओ के अनुसार इस ज्ञान ने दुनिया भर में सार्वजनिक सुरक्षा अधिकारियों को इस त्रासदी से निपटने में मदद की।
इस निगरानी नेटवर्क की सहायता से सुनामी केंद्र बड़े भूकम्पों के बाद वास्तविक समय में चेतावनी देने में भी सफल रहे हैं। इसने मौसम विभाग के मॉडल्स को उन्नत करने में भी मदद की है जिससे मौसम का अधिक सटीक पूर्वानुमान लगाना संभव हो पाया है। साथ ही, इसने ज्वालामुखी विस्फोट संबंधी जानकारियां भी प्रदान की हैं।
इसके अतिरिक्त, इस नेटवर्क ने उन चेतावनियों को भी बेहतर बनाया है जो हवाई प्राधिकरण हवाई जहाज के कप्तानों को विनाशकारी ज्वालामुखी की राख़ के बारे में चेताने के लिए वास्तविक समय में प्रयोग करता है। इसने जलवायु के बदलाव के बारे में अधिक सटीक जानकारी देने में भी मदद की है; पृथ्वी की अंदरूनी भाग की संरचना को जानने में भी यह सहायक रहा है; और जलवायु के बदलाव का समुद्री जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव और परिणामस्वरूप समुद्री जंतुओं के प्रवास का भी इसने अध्ययन किया है।
डेटा प्राप्त करने के लिए सीटीबीटीओ ने एक वर्चुअल डेटा एक्सप्लॉइटेशन सेंटर बनाया है जो विभिन्न वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को शोध के लिए डेटा प्रदान करता है और नई शोध को प्रकाशित करने में उनकी मदद करता है।
कई अकादमीशियनों ने इसकी तारीफ़ की है।
कैलिफ़ोर्निया विश्विद्यालय, बर्कले के भूगर्भ और अन्तरिक्ष विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ.रेमंड जीनलोज़ के अनुसार, “अंतरराष्ट्रीय निगरानी प्रणाली पृथ्वी के अंदरूनी भाग, वायुमंडल, समुद्र और वातावरण की निगरानी का एक बेहतरीन उपकरण है।”
हार्वर्ड विश्विद्यालय के पृथ्वी और नक्षत्र विज्ञान के प्रोफेसर मिआकी इशी कहते हैं, “सीटीबीटीओ डेटा हमें पृथ्वी की अंदरूनी सतह की जानकारी देता है – वहां क्या हो रहा है और पृथ्वी के इतिहास के सापेक्ष यह किस प्रकार विकसित हुई है।”
और सीटीबीटीओ के अंतरराष्ट्रीय डेटा केंद्र के निदेशक रैंडी बेल का कहना है, “वैश्विक डेटा बहुत मूल्यवान है क्योंकि वो कई दशकों से एकत्र किया हुआ उच्च गुणवत्ता वाला और अत्यधिक कैलिब्रेटेड (जांचा, नापा हुआ) है। इस डेटा का प्रयोग स्थानीय, क्षेत्रीय या वैश्विक घटनाओं का विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है।”
बेल का कहना है कि उनका प्रमुख कार्य परमाणु परीक्षणों का पता लगाना है, लेकिन विज्ञान के लिए इस डेटा के प्रयोग की अनुमति देने से और यह और अधिक विशेषज्ञों की पहुँच में आ जाता है।
वो कहते हैं, “जो मेरे लिए शोर है, हो सकता है किसी और के लिए कोई संकेत हो।”
इस बीच, एक ही दिन में, सीटीबीटीओ का अंतरराष्ट्रीय डेटा केंद्र 30,000 से अधिक भूकंपीय संकेतों का विश्लेषण करता है और उन घटनाओं का पता लगाता है जो कड़े मानदंडों को पूरा करती हैं।
सीटीबीटीओ के अनुसार हालाँकि कई देशों की अपने खुद के भूकंप निगरानी प्रणालियाँ हैं, सीटीबीटीओ का नेटवर्क “वैश्विक, स्थायी और कैलिब्रेटेड है और इसका डेटा सदस्यों के साथ बराबर साझा किया जाता है।”
इसका भूकंपीय नेटवर्क उप-सहारा अफ्रीका, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका, इंडोनेशिया और अंटार्कटिका में इन्फ्रासाउंड की निगरानी कर रहा है।
सीटीबीटीओ के पास भूमिगत श्रवण केंद्र भी हैं जो कि विश्व के सबसे दूरस्थ समुद्री भागों में स्थित हैं और एंडीज पर्वत तथा उत्तरी प्रशांत महासागर के आसपास भूकंप तरंगों को सुन रहे हैं।
डेटा का प्रयोग हिंद महासागर में ब्लू व्हेल की एक विशेष प्रजाति की प्रवासी आदतों को ट्रैक करने के लिए भी किया गया है।
डॉ. ज़ेरबो के अनुसार, “दुनिया के देशों ने वैश्विक कान बनाने के लिए लगभग एक अरब डॉलर का निवेश किया है।”
“वे प्रति वर्ष अपना निवेश जारी रखे हुए हैं इस आशा के साथ कि उन्हें इसके इच्छित उद्देश्य, अर्थात परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि के उल्लंघन का पता लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इस निवेश का तात्कालिक फायदा यह हुआ है कि इससे असैन्य और वैज्ञानिक क्षेत्र में सहायता मिली है और उससे संधि को समर्थन मिला है।
डॉ. ज़ेरबो का कहना है, “अधिक से अधिक वैज्ञानिकों और संगठनों द्वारा डेटा के उपयोग से इसका महत्व स्पष्ट हो गया है।” (17 जून, 2015)
अतिरिक्त वक्तव्य वियना से वेलेंटीना गैसबरी द्वारा।