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Reporting the underreported threat of nuclear weapons and efforts by those striving for a nuclear free world. A project of The Non-Profit International Press Syndicate Japan and its overseas partners in partnership with Soka Gakkai International in consultative status with ECOSOC since 2009.

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Nuclear Disarmament Requires Prompt Resolution, Says a Buddhist Peacebuilder – Hindi

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परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए शीघ्र समाधान की आवश्यकता है, एक बौद्ध शांति निर्माता कहते हैं

रमेश जौरा द्वारा

बर्लिन | टोक्यो (आईडीएन) – संयुक्त राष्ट्र के साथ, समुदाय-आधारित बौद्ध संगठन सोका गाकाई इंटरनेशनल ( SGI ) आशा की एक किरण प्रदान करता है, खासकर तब जब दुनिया मानव जाति के अस्तित्व को खतरे में डालने वाले संकटों से त्रस्त है।

1983 से हर साल, बौद्ध दार्शनिक, शांति निर्माता और शिक्षक, SGI के अध्यक्ष डायसाकू इकेडा ने शांति प्रस्ताव जारी किया है। उनका नवीनतम—और 40वां जिसका—शीर्षक “ट्रांसफॉर्मिंग ह्यूमन हिस्ट्री: द लाइट ऑफ पीस एंड डिग्निटी” है—26 जनवरी को जारी हुआ था।

वे “तीन मुख्य समस्या क्षेत्र जिनके लिए वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए त्वरित समाधान निकालने की आवश्यकता है” के लिए ठोस प्रस्ताव आगे बढ़ाते हैं: जलवायु न्याय, समावेशी शिक्षा और परमाणु निरस्त्रीकरण।

SGI में 192 देश और क्षेत्र शामिल हैं और यह संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) में परामर्शी पद वाला एक NGO है।

डॉ इकेडा बताते हैं: “यहां तक कि कोविड-19 संकट के बीच भी, दुनिया के सैन्य खर्च में वृद्धि जारी है। वर्तमान भंडार में 13,000 से अधिक परमाणु हथियार हैं, और अंतहीन आधुनिकीकरण अब भी जारी है। इस बात की गंभीर चिंता है कि हम वैश्विक परमाणु शस्त्रागार को और बढ़ता हुआ देख सकते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, महामारी ने परमाणु हथियारों के ईर्द-गिर्द मौजूद नए जोखिमों को भी उजागर किया है ऐसी परिस्थितियों के निर्माण के तौर पर जो कि अनुक्रम को बाधित कर सकती हैं: परमाणु हथियारों वाले राज्यों के राजनीतिक नेताओं को कोविड-19 संक्रमण के कारण अस्थायी रूप से अपने कर्तव्यों को सहायकों को हस्तांतरित करना पड़ा है। परमाणु-संचालित विमान वाहक और एक निर्देशित मिसाइल विध्वंसक में भी कई मामले आए थे।

डॉ इकेडा ने “इस अति आत्मविश्वास कि हम परमाणु हथियारों के उपयोग की तबाही से बच जाएंगे को जारी रखने के खतरे” के खिलाफ चेताया। उन्होंने आगे कहा: “यह केवल सौभाग्य और कुछ व्यक्तियों द्वारा घटनाओं को विनाशकारी रूप से न बढ़ने देने के संयोजन की बदौलत है कि हमने हिरोशिमा और नागासाकी की बमबारी के बाद से परमाणु हथियारों के उपयोग का एक और उदाहरण नहीं देखा है।”

“लगातार बदलते अंतरराष्ट्रीय माहौल में” जहां सुरक्षा रेलिंग या तो
नष्ट हो चुकी है या फिर पूरी तरह से नदारद है,” डॉ इकेडा ने जारी रखते हुए कहा, “हम अब केवल ऐसे मानवीय कारकों या सौभाग्य पर निर्भर नहीं रह सकते।”

वर्तमान में, परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए एकमात्र मौजूद द्विपक्षीय ढांचा नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (नई START) है, जिसे रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका ने फरवरी 2021 में विस्तारित करने पर सहमति व्यक्त की थी।

हर पांच साल में परमाणु हथियारों के अप्रसार (NPT) पर संधि की समीक्षा के लिए सम्मेलन—NPT समीक्षा सम्मेलन—जो कि पहले जनवरी के लिए निर्धारित था महामारी के प्रभाव के कारण स्थगित कर दिया गया है। अब इस आगामी अगस्त में पुनर्निर्धारित बैठक आयोजित करने पर विचार किया जा रहा है। 2015 में आयोजित पिछला समीक्षा सम्मेलन, अंतिम दस्तावेज को अपनाने में विफल रहा, और इस विफलता को दोहराया नहीं जाना चाहिए, उन्होंने स्पष्ट कहा।

डॉ इकेडा ने पार्टियों से NPT की प्रस्तावना में प्रतिज्ञा का पालन करने के लिए ठोस उपायों पर सहमत होने का आग्रह किया: “इस तरह के युद्ध के खतरे को टालने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए”।

NPT को अक्सर एक केंद्रीय सौदे पर आधारित देखा जाता है: NPT गैर-परमाणु-हथियार वाले राज्य कभी भी परमाणु हथियार हासिल नहीं करने के लिए सहमत हैं और NPT परमाणु-हथियार राज्य बदले में शांतिपूर्ण परमाणु प्रौद्योगिकी के लाभों को साझा करने और अपने परमाणु शस्त्रागार को अंतिम रूप से समाप्त करने के उद्देश्य के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण को आगे बढ़ाने के लिए सहमत हैं।

डॉ इकेडा कहते हैं कि पांच परमाणु हथियारों वाले राज्यों के संयुक्त बयान से इस भावना की पुष्टि होती है कि—”एक परमाणु युद्ध नहीं जीता जा सकता है और कभी नहीं लड़ा जाना चाहिए”—जो पहली बार शीत युद्ध के दौरान कहा गया था जब अमेरिकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन (1911-2004) और सोवियत महासचिव मिखाइल गोर्बाचेव नवंबर 1985 में जिनेवा में मिले थे। उस भावना का महत्त्व जिसने 1985 जिनेवा शिखर सम्मेलन को जीवंत किया उसका उल्लेख जून 2021 में आयोजित यूएस-रूस शिखर सम्मेलन के बाद जारी बयान में भी किया गया था।

एसजीआई के अध्यक्ष इकेडा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आग्रह किया कि “परमाणु हथियारों के युग को समाप्त करने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करने का अवसर बनाया जाए, एक प्रस्ताव में उन विचार-विमर्शों के परिणाम को अपनाया जाए, जिससे मौलिक परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हो सके”।

परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बढ़ते जोखिम से चिह्नित, मौजूदा गतिरोध को तोड़ने के लिए, डॉ इकेडा का मानना है कि वर्तमान परमाणु-निर्भर सुरक्षा सिद्धांतों से स्वंय का “अपार्जन” करने का एक तरीका खोजना सबसे जरूरी है।

परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्रों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अत्यधिक महत्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है। लेकिन परमाणु हथियारों पर निरंतर निर्भरता का संभवतः क्या अर्थ हो सकता है, जब वे विरोधी देश और स्वंय अपने देश को विनाशकारी नुकसान पहुंचाने में सक्षम हैं, और मानवता के अस्तित्व की नींव को अपरिवर्तनीय रूप से कमजोर कर सकते हैं? उन्होंने तर्क दिया।

इस दृष्टिकोण से, वे कहते हैं, कि अन्य देशों के कार्यों से अपने स्वयं के कार्यों पर हमारा ध्यान पुनर्निर्देशित करके अपमार्जन की प्रक्रिया शुरू करने की अनिवार्य आवश्यकता है। इस तरह, सभी राज्य NPT की प्रस्तावना की प्रतिज्ञा को पूरा करना शुरू कर सकते हैं और सही मायने में “ऐसे युद्ध के खतरे को टालने के लिए हर संभव प्रयास कर सकते हैं”।

सात देशों के समूह (G7) के शिखर सम्मेलन—जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम, और अमेरिका शामिल हैं को देखते हुए—जो कि 2023 में जापान में होना है, राष्ट्रपति इकेडा ने उसी दौरान गैर-जी7 देशों के नेताओं की भागीदारी के साथ परमाणु हथियारों की भूमिका को कम करने के लिए हिरोशिमा में एक उच्च स्तरीय बैठक का प्रस्ताव रखा है।

हिरोशिमा और नागासाकी ऐसे दो शहर हैं जिन पर अमेरिका ने क्रमशः 6 और 9 अगस्त, 1945 को दो परमाणु बम गिराए।

एसजीआई के अध्यक्ष इकेडा ने नोट किया कि पिछले 21 जनवरी को जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका ने एनपीटी पर एक संयुक्त बयान जारी किया था। इसमें, दोनों सरकारों ने घोषणा की: “हिरोशिमा और नागासाकी की परमाणु बमबारी, जो हमेशा के लिए दुनिया की स्मृति में दर्ज है, इस बात की कड़ी याद दिलाती है कि परमाणु हथियारों के गैर-उपयोग के 76 साल के रिकॉर्ड को बनाए रखा जाना चाहिए।”

महत्वपूर्ण रूप से, वे राजनीतिक नेताओं, युवाओं और अन्य लोगों से परमाणु हथियारों के उपयोग की भयावहता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हिरोशिमा और नागासाकी का दौरा करने का भी आह्वान करते हैं।

वह याद करते हैं कि 3 जनवरी को पांच परमाणु हथियार संपन्न देशों के नेताओं ने परमाणु युद्ध को रोकने और हथियारों की दौड़ से बचने पर एक बयान जारी किया था। वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इस संयुक्त बयान का उपयोग परमाणु हथियारों वाले पांच राष्ट्रों—संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, चीन और फ्रांस, अक्सर P5 के रूप में पहचाने जाने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों से NPT के अनुच्छेद VI द्वारा निर्धारित परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए ठोस उपाय हेतु एक प्रस्ताव का आधार बनाने के लिए करने का आह्नान करते हैं।

एसजीआई अध्यक्ष का दूसरा प्रस्ताव परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि (टीपीएनडब्ल्यू) से संबंधित है: वह जापान और अन्य परमाणु-निर्भर राज्यों और परमाणु-हथियार राज्यों दोनों को टीपीएनडब्ल्यू में राष्ट्रीय पार्टियों की पहली बैठक में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल करने का आग्रह करते हैं।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस बैठक में टीपीएनडब्ल्यू में निर्धारित दायित्वों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी सचिवालय बनाने के लिए प्रतिबद्धता की जानी चाहिए।

परमाणु हथियारों को खत्म करने के प्रयासों में अब महत्वपूर्ण चरण आ गया है, और इस कार्य को पूर्ण करके ही हम भविष्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। “इस विश्वास में दृढ़,” डॉ इकेडा प्रतिज्ञा करते हैं, “एसजीआई युवाओं पर विशेष ध्यान देते हुए नागरिक समाज की एकजुटता बढ़ाते हुए, शांति की संस्कृति के निर्माण की दिशा में जहां सभी प्रामाणिक सुरक्षा में रहने के अधिकार का आनंद ले सकें आगे बढ़ना जारी रखेगा।” [IDN-InDepthNews – 21 फरवरी 2022] [IDN-InDepthNews – 21 फरवरी 2022]

फोटो: एसजीआई के अध्यक्ष डायसाकू इकेडा। श्रेय: सिकोयो शिंबुन

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